साथियों इस अध्याय में हम आज जानेंगे RCM के मार्केटिंग प्लान के बारे में , किसी भी कंपनी को ज्वाइन करने से पहले हमें उस कंपनी का मार्केटिंग प्लान भली भांति जान लेना चाहिए , सिर्फ अत्यधिक पैसो के लालच और बड़े -बड़े सपने देखकर हमें, बिना सोचे समझे किसी भी कंपनी को ज्वाइन नहीं करना चाहिए, सबसे पहले हमें उस कंपनी की जिसको हम ज्वाइन करने का सोच रहे हैं उसका बैकग्राउंड भली भांति जान लेना चाहिए, ऐसा न हो भ्रामक और बिना पूर्ण सच जाने आपके लिए किसी भी डायरेक्ट सेलिंग कंपनी को ज्वाइन करना घातक हो सकता है, आज सेकड़ो कंपनी डायरेक्ट सेलिंग के नाम पर भारत में व्यवसाय कर रहीं हैं, बहुत से कंपनी डायरेक्ट सेलिंग के नाम पर मनी रोटेशन या पोंजी स्कीम चला रही हैं , हमें ऐसी सभी कंपनी से सावधान रहने की आवश्यकता है।
जैसे जैसे देश में डायरेक्ट सेलिंग का भविष्य काफी उज्जवल दिखाई दे रहा है रोज नई -नई कम्पनियाँ मार्किट में उतर रही हैं और भोले- भाले कंस्यूमर्स को बड़े- बड़े सपनो के जाल में फंसा रही हैं और कहीं न कहीं डायरेक्ट सेलिंग के नाम पर धोका देकर , भारत में डायरेक्ट सेलिंग के प्रति लोगो में नकारात्मक सोच का संचार कर रही हैं , पर हम सब लोगो को सावधान होने की आवशयक्ता है ,क्योंकि जल्दी -जल्दी और अधिक से अधिक पैसा कमाने के चाह हमें लालच वशीभूत कर देती है।
और हम बिना सोचे समझे सिर्फ लालच वश ऐसी किसी भी कंपनी को बिना उसके बैकग्राउंड जाने ज्वाइन कर लेते हैं , जिससे हमें बाद में पछताना पड़ता है और हमारी धन की हानि के साथ- साथ , सामाजिक हानि भी हो जाती है और हमारा नजरिया अछि डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों के प्रति भी नकारात्मक होने लगता है।
बल्कि ऐसी बहुत सी डायरेक्ट सेल्लिंग कंपनियां है जो अपना काम बड़ी ही ईमानदारी से कर रही हैं और किसी सिद्धांत के साथ सालो से काम कर रही हैं।
आज ऐसी ही सिद्धांतिक कंपनी RCM के मार्केटिंग प्लान के बारे में बात करने जा रहा हूँ।
RCM का मार्केटिंग प्लान जानने से पहले इसके बैकग्राउंड को जानना बहुत जरुरी है जैसा की मेने पूर्व में ही कहा था की किसी भी कंपनी को ज्वाइन करने से पहले उसका बैकग्राउंड भली भांति जान लेना चाहिए।
RCM बिज़नेस पूरा नाम राइट कांसेप्ट मार्केटिंग( RIGHT CONCEPT MARKETING) अर्थात व्यापार करने का सही तरीका , RCM बिज़नेस की शुरुवात सन 2000 में , इसके संस्थापक माननीय श्री त्रिलोक चंद छाबरा जी द्वारा की गई , RCM बिज़नेस की शरुवात करने से पहले ये एक सफल बिज़नेस मैन थे , और सन1977 से ही कपडा उद्योग चला रहे थे।
भीलवाड़ा राजस्थान में , फैला RCM WORLD 17 लाख स्क्वायर फ़ीट में फैला है , जहाँ कई उत्पादन इकाइयां काम करती हैं , कंपनी का हेड ऑफिस भी यहीं स्थित है
RCM के पास खुद के 180 से अधिक डिपो हैं , और 10000 से ज्यादा डिलीवरी सेंटर हैं
RCM रोजमर्रा के दैनिक उपयोगी उतपाद बनाता हैं , यूँ कहें की RCM सुबह से साम तक काम आने वाले सभी उत्पादों का उत्पादन करता है और डायरेक्ट सेलिंग के माध्यम से उसे जन -जन तक पहुँचता है
श्री त्रिलोक चंद छाबरा जी ,एक दूरदर्शी प्रतिभा के धनि व्यक्तित्व के स्वामी हैं , एक सफल बिज़नेस मैन होने के बावजूद भी उन्होंने समाज में फैली इस अव्यवथा को देखा की कैसे एक कंजूमर ( ग्राहक) सारी जिंदगी सिर्फ खर्च करता है और उसको कोई लाभ नहीं मिलता बल्कि कोई और लोग जैसे दुकानदार , वहोल सेलर , स्टॉकिस्ट आदि बिचोलिये इन ग्राहकों के खर्च किये हुए पैसो से माला माल होते जा रहे हैं।
इसी समस्या से निजात दिलाने के लिए श्री त्रिलोक चंद छाबरा जी RCM बिज़नेस का गठन वर्ष 2000 में किया , और डायरेक्ट सेल्लिंग जैसा नायाब तोहफा भारत जैसे विशाल जन समूह वाले देश को दिया।
आओ जानते हैं ये RCM प्लान था क्या और कैसे इससे आम कंजूमर ( ग्राहकों ) को फ़ायदा होने वाला था
हम सभी कोई ना कोई काम करते हैं चाहे वो नौकरी हो खुद का व्यवसाय हो अथवा प्रोफेशनल काम ( डॉक्टर, वकील) आदि हो। हम सभी को अपने- अपने काम के अनुरूप पैसा मिलता है, और काम से प्राप्त इन्ही पैसो को हम अपने रोज मर्रा की आवश्यक वस्तुओं पर खर्च करतें हैं , और शायद कुछ लोग अतरिक्त आमदनी को बचत भी करते हैं और यही हमारा जीवन चक्र है, पैसा कमाना फिर उसे खर्च करना ।
हम अपने पैसो को अपने आस पास की दुकानों में खर्च करते हैं , क्या कभी आपने सोचा है कि हमारे इन्ही खर्च किये हुए पैसो से ना जाने कितने लोग लखपति या करोड़ पति बन चुके है , फिर हम क्यों नहीं आखिर सबसे ज्यादा पैसा तो एक कंजूमर ( ग्राहक) ही खर्च करता है।
आओ जानते हैं ऐसा क्यों होता है क्यों एक ग्राहक सबसे अधिक खर्च करने पर भी अमीर नहीं बन पाता और एक व्यक्ति जिसके वहां हम ये धन खर्च करते हैं अमीर होता जाता हैं।
हम सभी अपने पैसो को अपने किसी नजदीकी रिटेलर ( दुकानदार ) के यहाँ खर्च करते हैं अपनी आवश्यक वस्तुओ के लिए जैसे – आटा ,नमक, दाल, तेल , मसाला आदि रोज मर्रा इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं पर क्या कोई रिटेलर ( दुकानदार) बेचीं जाने वाली वस्तुओ का निर्माण करता हैं ? आपका जवाब होगा नहीं। दुकानदार ग्राहकों की जरुरत के हिसाब से सामान किसी बड़ी दूकान ( होलसेलर – थोकविक्रेता) से लाता है, क्या होलसेलर ( थोकविक्रेता) इन वस्तुओ का निर्माण करता हैं ?
आपका जवाब होगा नहीं। होलसेलर (थोकविक्रेता )भी जरुरत के हिसाब से सामान आगे स्टॉकिस्ट से मंगवाता है खरीदता है , फिर क्या स्टॉकिस्ट इस सामान को अपने यहाँ बनाता है ? आपका जवाब फिर होगा नहीं। स्टॉकिस्ट इसी सामान को आगे केयरिंग एंड फॉरवर्डिंग ( C & F )एजेंसी से मंगवाता है, सोचने वाली बात यह है की क्या C & F एजेंसी इन प्रोडक्ट्स को बनाती है है ? आपका जवाब फिर ना ही होगा। ये C & F एजेंसी आगे मैनुफेक्चरर ( निर्माता) से उन वस्तुओं को क्रय करती जिनपर कंपनी द्वारा भारी -भरकम प्रचार का खर्च किया होता है , प्रचार की वजह से जिसकी डिमांड पहले से ही मार्किट में होती है।
अभी आपने जाना की एक प्रोडक्ट हम तक कैसे पहुँचता है , प्रोडक्ट सीधे ग्राहकों तक ना पहुंच कर कई बिचोलियो ( C & F एजेंसी, स्टॉकिस्ट , होलसेलर, रिटेलर) के माध्यम से ग्राहकों तक पहुँचता है , एक सामन जो कंपनी ( निर्माता) के यहां पर 50 का बनता है वो ग्राहक तक पहुंचते- पहुँचते 100 रुपये का हो जाता है , अगर किसी कंपनी का माल 50 रुपये में लागत सहित तैयार हो गया तो ग्राहक के पास पहुंचते -पहुंचते बाकी 50 रुपये किसकी जेब में चले जाते हैं , बल्कि यहाँ हर व्यक्ति पैसा लगाता है ग्राहक से लेकर कंपनी तक , ग्राहक को छोड़ कर सभी पैसा कमाते है , जबकि सबसे ज्यादा पैसा ग्राहक की ही जेब से जाता है।
इसी अव्यवस्थित पारम्परिक व्यवसाय के सिद्धांत को डायरेक्ट सेलिंग के माध्यम से सही दिशा देने की कोशिस की गई और RCM का निर्माण हुआ।
RCM यानी डायरेक्ट सेलिंग कंपनी यहाँ पर सभी बिचौलियों को हटा दिया गया अब सिर्फ कंपनी और ग्राहक रह गए क्योकि मुख्य भूमिका तो ग्राहक और कंपनी की ही है , क्योकि यहाँ पर एक वस्तु निर्माता है तो दूसरा उसका खरीदार , फिर बिचौलियों की आवस्यकता क्यों ?
RCMबिज़नेस के बुनियाद है इसका मार्केटिंग प्लान जिसके माध्यम से RCM अपने डिस्ट्रीब्यूटरों को पैसा (कमीशन) उनकी परफॉरमेंस अर्थात प्रत्येक डिस्ट्रीब्यूटर की कार्यक्षमता के अनुसार वितरित करता है , आपका जितना बड़ा नेटवर्क होगा और जितने ज्यादा सक्रिय डिस्ट्रीब्यूटर आपकी डाउनलाइन में होंगे उतना ही ज्यादा आपको कमीशन वितरित होगा , यहाँ कंपनी आपको सिर्फ ग्राहक नहीं बनाती बल्कि अपना बिज़नेस पार्टनर बनाती है , कहने का तात्पर्य है आपकी टीम में जितना ज्यादा टर्नओवर होगा आपका कमीशन भी उसके हिसाब से उतना ही अधिक आपको मिलेगा
बिजनेस वॉल्यूम क्या होता है ?
बिजनेस वॉल्यूम हमें खरीदारी की गई वस्तुओं पर मिलता है ,लगभग 45 से 60 % का बिजनेस वॉल्यूम हमें FMCG प्रोडक्ट्स की DP प्राइस पर मिलता है ,उदाहरण के लिए अगर किसी वस्तु का MRP 100 है तो लगभग 10 से 20 % तो हमें काउंटर पर ही छूट मिल जाएगी 100 रुपया MRP का प्रोडक्ट हमें 80 से 90 रुपए में मिल जायेगा अगर हम मान लेते हैं की हमें खरीदा गया प्रोडक्ट 90 का मिला तो उस प्रोडक्ट का बिजनेस वॉल्यूम लगभग 45 से 60 परसेंट के हिसाब से 40 से 55 के बीच रहेगा , इसी बिजनेस वॉल्यूम पर हमें , परफॉरमेंस के हिसाब से 10 से 32 % का कमीशन हमारे अकाउंट में प्राप्त होता है
अगर हम बात करें नूट्रिशन की ( हेल्थ सुप्प्लिमेंट ) जिसमे शामिल है न्यूट्रीचार्ज के सभी प्रोडक्ट्स तो हमें फ्लैट 20 % का डिस्काउंट काउंटर पर ही मिल जाता है और जिस मूल्य पर हमने प्रोडक्ट लिए है उस प्रोडक्ट की कीमत का फ्लैट 75% हमारा बिजनेस वॉल्यूम बनता है , उधारण के लिए अगर कोई न्यूट्रीचार्ज प्रोडक्ट 300 MRP का है तो फ्लैट 20 % डिस्काउंट के साथ वो आपको 240 का मिलेगा , साथ ही 240 का 75% बिजनेस वॉल्यूम के हिसाब से 180 उसका बिजनेस वॉल्यूम होगा
आओ जानते हैं RCM अपने डिस्ट्रीब्यूटरो को पैसा बाटती कैसे है :-
जैसा की मैंने आपको पूर्व में बताया था की RCM अपने डिस्ट्रीब्यूटरों को पैसा उनके परफॉरमेंस के हिसाब से बाटती है और यहाँ पर परफॉरमेंस निर्भर करता है उसके और उसके डाउनलाइन द्वारा किया गया बिज़नेस वॉल्यूम , कहने का मतलब है सारा खेल बिजनेस वॉल्यूम का है , जिसका और जिसकी टीम का जितना बड़ा बिजनेस वॉल्यूम उसका उतना ज्यादा कमीशन
RCM में कमीशन के वितरण कम से कम 100 बिज़नेस वॉल्यूम के आधार पर होता है , कहने का मतलब है कोई भी एक्टिव डिस्ट्रीब्यूटर जिसकी खरीदारी प्रत्येक महीने की कम से कम 100 बिज़नेस वॉल्यूम की होगी वो ही कमीशन पाने का अधिकारी होगा , 100 बिज़नेस वॉल्यूम से कम की खरीदारी पर कोई कमीशन नहीं दिया जायेगा चाहे आपकी डाउनलाइन में बिज़नेस लाखों का हो
कमीशन का वितरण करने के लिए कंपनी ने बिज़नेस वॉल्यूम को अलग-अलग स्लैब में बाटा हैं जो निम्नलिखित है :-
2% से 22 % तक परफॉरमेंस बोनस
SLAB ( BUSINESS VOLUME) | PERCENTAGE % |
5000 से 9999 | 2 % |
10000 से 19999 | 4.5% |
20000 से 39999 | 7 % |
40000 से 69999 | 9.5 % |
70000 से 114999 | 12 % |
115000 से 169999 | 14.5 % |
170000 से 259999 | 17 % |
260000 से 349999 | 19.5 % |
350000 और उससे अधिक | 22 % |
3% से 8 % तक रॉयल्टी बोनस
रॉयल्टी बोनस उन लोगो को मिलता है जो अपना नेटवर्क बनाते हैं और एक से अधिक लाइन पर काम करते हैं
A- LEG | B- LEG | ROYALITY % |
3,50000+ | 1,15000+ | 3% |
3,50000+ | 1,70000+ | 4.5% |
3,50000+ | 2,60000+ | 6% |
3,50000+ | 3,50000+ | 8% |
1 % से 5% तक टेक्निकल बोनस
A- LEG | B- LEG | TECHNICAL % |
5,00000+ | 5,00000+ | 1 % |
10,00,000+ | 10,00,000+ | 1.75% |
22,00,000+ | 22,00,000+ | 2.50 % |
48,00,000+ | 48,00,000+ | 3 % |
10000000+ | 10000000+ | 3.50% |
20000000+ | 20000000+ | 4% |
50000000+ | 50000000+ | 4.50% |
100000000+ | 100000000+ | 4.75% |
250000000+ | 250000000+ | 5% |
प्रशन – ऐसा करने से क्या हुआ क्या कंपनी में बनने वाला 50 रुपये का सामान ग्राहकों को 50 रूपये में ही मिलने लगेगा ?
तो जवाब है ना
प्रशन – तो फिर डायरेक्ट सेलिंग ( RCM ) से प्रोडक्ट लेने का क्या लाभ ?
जवाब – RCM से प्रोडक्ट लेने से कई लाभ होने लगे जैसे
ग्राहकों (RCM डिस्ट्रीब्यूटर )को होने वाला पहला फायदा– जो पैसा अभी तक इन बिचोलियो में बट रहा था अब वो ग्राहकों में उसके कार्यक्षमता के अनुसार बटने लगा अर्थात जो ग्राहक सिर्फ ग्राहक था जिसको खर्च करने से कोई आमदनी नहीं थी उसको भी आमदनी होने लगी
ग्राहकों (RCM डिस्ट्रीब्यूटर ) को होने वाला दूसरा फायदा- हर सामान पर 10 से 20 % का छूट प्राप्त होने लगा प्रत्येक सामान पर ,
ग्राहकों (RCM डिस्ट्रीब्यूटर )को होने वाला तीसरा फायदा – शुद्ध सामान मिलने लगा क्योकि पहले अब कोई बिचोलिया नहीं सीधा कंपनी (RCM) से सामान ग्राहकों तक पहुंच रहा है , जबकि पहले बिचोलिये अधिक मुनाफे के चक्कर में नकली सामान असली दामों पर बेचते हैं
ग्राहकों (RCM डिस्ट्रीब्यूटर ) को होने वाला चौथा फायदा बेहतर स्वास्थ्य – मिलावट रहित सामान खाने की वजह से लोगो के स्वास्थ्य में निरन्तर लाभ
ग्राहकों (RCM डिस्ट्रीब्यूटर ) को होने वाला पांचवा फायदा – पक्का बिल ,देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में योगदान
ग्राहकों (RCM डिस्ट्रीब्यूटर ) को होने वाला छठा फायदा – सामान पसंद ना आने पर ,30दिनों के अंदर सामान वापिसी की गेरंटी
ग्राहकों (RCM डिस्ट्रीब्यूटर ) को होने वाला सातवां फायदा –इसकी फ्रैंचाइजी दूसरों को देने की क्षमता अर्थात दूसरो को समान रूप से व्यापार करने का अवसर
ग्राहकों (RCM डिस्ट्रीब्यूटर ) को होने वाला आठवा फायदा – रॉयल्टी जैसी इनकम प्राप्त करने का मौका , जो सिर्फ लेखक ,संगीतकार या किसी वैज्ञानिक को मिलती है
पर RCM से ये सब कुछ प्राप्त करने के लिए हमें करना क्या होगा ?
जवाब है आपको सिर्फ अपनी दूकान बदलनी है , कहने का तात्पर्य यह है की अपनी सभी जरूरतों का सामान किसी आम रिटेलर ( दुकानदार) से ना लेकर आपको RCM की दूकान से लेना है
और RCM से जुड़ने के लिए आपको अपना KYC कराना होगा जिसके लिए आपको अपना :-
आधार कार्ड (एड्रेस अथवा आईडी प्रूफ के के लिए )
पैन कार्ड ( अगर उपलब्ध है तो ) आईडी प्रूफ के के लिए
बैंक पासबुक या चेकबुक जिसमे आपका नाम अंकित हो ( कॅश बैक अथवा कमीशन के लिए )
मोबाइल नंबर ( RCM से खरीदारी का मैसेज और RCM से जुडी अन्य जानकारियों के लिए )
नॉमिनी ( उत्तराधिकारी) का नाम जन्म तिथि और पता तथा जुड़ने वाले व्यक्ति के साथ सम्बन्ध
RCM Proposed Marketing Plan 2023 25-Apr-2023 PDF DOWNLOAD
Very good elaboration indeed vi
सराहनीय प्रयास बायो ऐज के बारे में बताऐ
NISANDEH HAM JARUR PRYAS KARENGE THANKS